सोमवार, 4 मार्च 2013

मन की बात सुनाऊँ किसको अपने जैसा पाऊँ किसको

अंधे रहबर अंधे पीर, रहबर पीर बनाऊँ किसको

वासिफ़ के घर दीवाली है, आँगन नाच नचाऊँ किसको
गायन: रफ़ाकत अली खान, शाम चौरासी घराना
रचना: हज़रत वासिफ़ अली "वासिफ़"

पुरातन पोस्ट पत्रावली

3 टिप्‍पणियां: