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शनिवार, 16 अप्रैल 2011

सब माया है - इब्न-ए-इंशा

सब माया है, सब चलती फिरती छाया है
तेरे इश्क़ में हमने जो खोया है जो पाया है
जो तुमने कहा और फैज़ ने जो फरमाया है
सब माया है, सब माया है।

आज मेरे प्रिय कवि इब्न-ए-इंशा (शेर मुहम्मद खाँ) की एक रचना प्रस्तुत है। संत कबीर के शब्द "माया महा ठगिनी" याद दिलाती रचना सलमान अलवी के स्वर में। इसी रचना के अन्य संस्करण सोनू निगम उदित नारायण और अताउल्लाह खाँ के स्वर में भी उपलब्ध हैं, वे फिर कभी।

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