सब माया है, सब चलती फिरती छाया है
तेरे इश्क़ में हमने जो खोया है जो पाया है
जो तुमने कहा और फैज़ ने जो फरमाया है
सब माया है, सब माया है।
आज मेरे प्रिय कवि इब्न-ए-इंशा (शेर मुहम्मद खाँ) की एक रचना प्रस्तुत है। संत कबीर के शब्द "माया महा ठगिनी" याद दिलाती रचना सलमान अलवी के स्वर में। इसी रचना के अन्य संस्करण सोनू निगम उदित नारायण और अताउल्लाह खाँ के स्वर में भी उपलब्ध हैं, वे फिर कभी।
पुरातन पोस्ट पत्रावली
मेरे पसन्दीदा चिट्ठे; सर्वोत्तम हिन्दी ब्लॉग्स; हिन्दी ब्लॉग; ब्लोग सन्दर्भ - Most popular Indian Hindi blogs; Top blogs in India; Widely read Hindi bloggers; Recommended Hindi Blogs
फ़ॉलोअर
शनिवार, 16 अप्रैल 2011
सब माया है - इब्न-ए-इंशा
लेबल:
इब्ने इंशा,
उर्दू,
देहलवी,
हिन्दवी,
हिन्दुस्तानी,
Urdu,
ابن انشاء,
اردو,
سب مایا ہے
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें