15 अंकों में पूर्ण, गिरिजेश राव की यह प्रेरक और विचारणीय शृंखला उनके ब्लॉग एक आलसी का चिठ्ठा पर पढी जा सकती है।
... वर्गसंघर्ष और क्रांति मार्क्सवाद के उद्देश्यप्राप्ति हेतु अस्त्र हैं। मार्क्स के अलावा ऐसे चिंतन के और भी ‘वैरियेंट’ रहे हैं, जैसे – 'बन्दूक की बैरल से क्रांति उगलता' माओवाद, उत्तर कोरिया में किम-इल-सुंग की 'चुच्चे (juche)' चिन्तन पद्धति आदि। कुछ लोग पहली क्रांति (रूस, सोवियत संघ) के जनक के नाम से लेनिनवाद को भी कुछ अंतरों के कारण अलग मानते हैं।...
[एक आलसी का चिठ्ठा ब्लॉग पर जाकर पोस्ट पढने के लिये यहाँ क्लिक करें]
बाबा राव के ब्लॉगर खाते से साभार |
[एक आलसी का चिठ्ठा ब्लॉग पर जाकर पोस्ट पढने के लिये यहाँ क्लिक करें]
पुरातन पोस्ट पत्रावली
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें