शब्द: दशमेश वाणी, चंडी चरित्र, दशम ग्रंथ, अंग 95
स्वर: भाई बलबीर सिंह
कागड़दं काटी कटारी कड़ाकं ॥ तागड़दं तीरं तुपकं तड़ाकं ॥
झागड़दं नागड़दं बागड़दं बाजे ॥ गागड़दं गाजी महागज गाजे ॥
सागड़दं सूरं कागड़दं कोपं ॥ पागड़दं परमं रणं पाव रोपं ॥
सागड़दं सशत्रं झागड़दंग झारै॥ बागड़दं बीरं डागड़दं डकारैं ॥
चागड़दं चउपे बागड़दंग बीरं ॥ मागड़दंग मारे तनं तिछ तीरं ॥
गागड़दं गजे सु बजे गहीरै॥ कागड़दं कवीयान कथे कथीरै॥
दागड़दं दानो भागड़दं भाजे ॥ गागड़दं गाजी जागड़दं गाजे ॥
छागड़दं छउही छुरे प्रे छड़ाके ॥ तागड़दं तीरं तुपकं तड़ाके ॥
गागड़दं गोमाय गजे गहीरं ॥ सागड़दं संखं नागड़दंग नफीरं ॥
बागड़दं बाजे बजे बीर खेतं ॥ नागड़दं नाचे सु भूतं परेतं ॥
तागड़दं तीरं बागड़दं बाणं ॥ कागड़दं काटी कटारी कृपाणं ॥
नागड़दं नादं बागड़दं बाजे ॥ सागड़दं सूरं रागड़दं राजे ॥
सागड़दं संखं नागड़दं नफीरं ॥ गागड़दं गोमाय गजे गहीरं ॥
नागड़दं नगारे बागड़दं बाजे ॥ जागड़दं जोधा गागड़दं गाजे ॥
पुरातन पोस्ट पत्रावली
1 टिप्पणी:
सम्झा दें तो अच्छा होगा !
एक टिप्पणी भेजें