समस्त दक्षिण भारत में अति-प्रचलित इस लघु-रामायण रामधुन की सरल संस्कृत में लिखित 108 छोटी-छोटी पंक्तियों में सम्पूर्ण रामकथा कही गई है।
मूल धुन: तिरुवइयारु पण्डित लक्ष्मणाचार्य (1857 -1919)
गायन: श्री बालकृष्ण प्रसाद गरिमेल्ला
पुरातन पोस्ट पत्रावली
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें