जनता मुझसे पूछ रही क्या बतलाऊँ
जनकवि हूँ मैं सत्य कहूँ न हकलाऊँ
संस्कृत, मैथिली, पाली, बंगला और हिन्दी के अधिकारी श्री वैद्यनाथ मिश्र "नागार्जुन" के जन्मदिवस के अवसर पर एक स्मरण।
क्रांतिकारी साहित्यकार बाबा ने दूर दूर की यात्रायें की हैं और "यात्री" नाम से भी लिखा है। अध्यापन से अपनी नौकरी आरम्भ करने वाले बाबा ने तीन अलग-अलग पंथों को जिया। ब्राह्मण परिवार में जन्मकर वे बौद्ध भिक्षुक भी रहे और एक अगुआ साम्यवादी भी, पर सबसे ऊपर वे एक करुणहृदय मानवतावादी ही रहे। पराधीन भारत में वे अंग्रेज़ों की जेल में रहे और स्वाधीन भारत में इन्दिरा गान्धी के आपात्काल की जेल में। कष्ट सहे मगर बाबा कभी टूटे नहीं।
स्कूली बच्चों के बीच बाबा की कविता "गुलाबी चूडियाँ"
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सम्बन्धित कड़ियाँ
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* तिआनमान चौक, बाबा नागार्जुन और हिंदी फिल्में
* अण्डा - बाबा नागार्जुन
* फोटो फीचर-बाबा नागार्जुन (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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पुरातन पोस्ट पत्रावली
जनकवि हूँ मैं सत्य कहूँ न हकलाऊँ
June 30, 1911 - November 4, 1998 |
क्रांतिकारी साहित्यकार बाबा ने दूर दूर की यात्रायें की हैं और "यात्री" नाम से भी लिखा है। अध्यापन से अपनी नौकरी आरम्भ करने वाले बाबा ने तीन अलग-अलग पंथों को जिया। ब्राह्मण परिवार में जन्मकर वे बौद्ध भिक्षुक भी रहे और एक अगुआ साम्यवादी भी, पर सबसे ऊपर वे एक करुणहृदय मानवतावादी ही रहे। पराधीन भारत में वे अंग्रेज़ों की जेल में रहे और स्वाधीन भारत में इन्दिरा गान्धी के आपात्काल की जेल में। कष्ट सहे मगर बाबा कभी टूटे नहीं।
स्कूली बच्चों के बीच बाबा की कविता "गुलाबी चूडियाँ"
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सम्बन्धित कड़ियाँ
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* तिआनमान चौक, बाबा नागार्जुन और हिंदी फिल्में
* अण्डा - बाबा नागार्जुन
* फोटो फीचर-बाबा नागार्जुन (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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पुरातन पोस्ट पत्रावली
3 टिप्पणियां:
विडियो देखना रोमांचित कर गया....शुक्रिया..
बहुत बधाई ||
बहुत आभार भाई अनुराग जी। आपने इस नागार्जुन शताब्दी वर्ष में बाबा के साक्षात दर्शन करा दिए॥
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