यदि देशहित मरना पडे मुझको सहस्रों बार भी
तो भी न मैं इस कष्ट को निज ध्यान में लाऊँ कभी
हे ईश भारतवर्ष में शत बार मेरा जन्म हो
मृत्यु का कारण सदा देशोपकारक कर्म हो
(~ अमर शहीद पण्डित रामप्रसाद बिस्मिल)
चन्द्रशेखर आज़ाद का एक दुर्लभ चित्र
आज़ाद के अंतिम क्षणों का नाट्य रूपांतर "द लीजैंड ऑफ़ भगत सिंह" से। आज दो महान व्यक्तियों लोकमान्य बाल गंगाधर टिळक और चन्द्रशेखर "आज़ाद" का जन्मदिन है, उन्हें नमन!
अपनी आज़ादी को हम - लीडर (1964)
स्वर मुहम्मद रफ़ी का, साहिर के शब्द, नौशाद के संगीत में। अभिनय वैजयंतीमाला और दिलीप कुमार का।
पुरातन पोस्ट पत्रावली
6 टिप्पणियां:
सुबह सुबह गीत सुनकर अंग अंग फडक उठा.
सुन्दर ओजपूर्ण जोशीले भावों से ओतप्रोत गीत सुनवाने के लिए आपका बहुत बहुत आभार.
आजाद के अंतिम क्षणों को देखकर आँखों में आसूँ आ गए.
आप पर भगवान की सदा ही कृपा बनी रहे,एक बार फिर दिल से आभार आपका.
मेरे तरफ से भी इस सहीद को नमन
आपका बहुत अच्छा प्रयाश है इस ब्लॉग के जरिये
naman
अनुराग जी, पहले चित्र में आज़ाद जी के साथ बैठे महिला और बच्चे कौन हैं?
गुप्ता जी, यह चन्द्रशेखर आज़ाद के एक निकट मित्र मास्टर रूद्रनारायणसिंह का परिवार है।
बहुत बहुत धन्यवाद और आभार.
एक टिप्पणी भेजें