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शुक्रवार, 13 सितंबर 2013

तेरे होठों के पियाले से - मेरा रक्षक 1978

लता मंगेशकर व येसूदास के स्वर

गीत संगीत: रवीन्द्र जैन

पुरातन पोस्ट पत्रावली

2 टिप्‍पणियां:

Anita ने कहा…

सरस गीत !

kuldeep thakur ने कहा…

हिन्दी साहित्य लेखन में अनेकों साहित्यकारों ने अपना सारा जीवन लगा दिया। जिनमे से अनेक साहित्यकार अब नहीं रहे. पर ये साहित्यकार हमेशा के लिए इतिहास में
अमर हो गए ।आज इन साहित्यकारों के कार्यो से हमें एक ऊर्जा लेने की जरूरत हैं । , आज भी हिन्दी साहित्य मौजूद हैं लेकिन हम इसे अनदेखा कर रहे हैं । हिन्दी
साहित्य के वो रत्न जिनके कारण आज हिन्दी साहित्य गर्व के साथ खड़ा हुआ हैं, उनकी रचनाओं को आप तक पहुंचाने के लिये उजाले उनकी यादों के हमेशा प्रयासरथ है। इस ब्लौग पर आप प्रत्येक दिन 2 रचनाएं
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हमारा अतीत कह रहा है...
हम आज क्या से क्या हुए, भूले हुए हैं हम इसे,
है ध्यान अपने मान का, हममें बताओ अब किसे! पूर्वज हमारे कौन थे, हमको नहीं यह ज्ञान भी, है भार उनके नाम पर दो अंजली जल-दान भी। हम हिन्दुओं के सामने आदर्श जैसे प्राप्त हैं
संसार में किस जाती को, किस ठौर वैसे प्राप्त हैं ,
भव - सिन्धु में निज पूर्वजों के रीति सेही हम तरें , यदि हो सकें वैसे न हम तो अनुकरण तो भी करें ।
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मन का मंथन [मेरे विचारों का दर्पण]

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