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गुरुवार, 5 मई 2011

भगवान् परशुराम की जय! अक्षय-तृतीया शुभ हो!

चित्र सौजन्य: अमर चित्र कथा 
जिस प्रकार हिमालय काटकर गंगा को भारत की ओर मोडने का श्रेय भागीरथ को जाता है उसी प्रकार पह्ले ब्रह्मकुन्ड से और फिर लौहकुन्ड पर हिमालय को काटकर ब्रह्मपुत्र जैसे उग्र महानद को भारत की ओर मोड्ने का श्रेय परशुराम जी को जाता है। यह भी कहा जाता है कि गंगा की सहयोगी नदी रामगंगा को वे अपने पिता जमदग्नि की आज्ञा से धरा पर लाये थे।

विश्व की पहली समर कला के प्रणेता, निरंकुश शासकों, अत्याचारी आतंकियों, और आसुरी शक्तियों के विरोधी भगवान् परशुराम के जन्म दिन यानी अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर आज पढिये "बर्ग वार्ता" से एक आलेख "बुद्ध हैं क्योंकि परशुराम हैं"

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ऋग्वेद में परशुराम के पितरों की अनेकों ऋचाएं हैं परन्तु १०.११० में राम जामदग्न्य के नाम से वे स्वयं महर्षि जमदग्नि के साथ हैं

पुरातन पोस्ट पत्रावली

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सम्बंधित कड़ियाँ
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* परशुराम स्तुति
भगवान परशुराम की जन्मस्थली
* जिनके हाथों ने पहाडों से गलाया दरिया ...
* क्या परशुराम क्षत्रिय विरोधी थे?
* परशुराम - विकीपीडिया
अक्षय तृतीया
परशुराम और राम-लक्ष्मण संवाद
* परशुराम का आह्वान

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