अलौकिक और अद्भुत है वहाँ पहुँचना
आदरणीय प्रेमलता पाण्डेय जी की पवित्र कैलाश-पर्वत और मानसरोवर की 4 जून से 2 जुलाई 2010 तक की यात्रा का संपूर्ण सचित्र वर्णन उनके वर्डप्रैस ब्लॉग पर उपलब्ध है।
प्रेमलता पाण्डेय जी की यह अद्वितीय पोस्ट मेरी कैलाश-मानसरोवर यात्रा पर पढी जा सकती है।
... यह कैलाश के दक्षिण-दर्शन हैं। कैलाश-पर्वत अपनी दिव्य छटा बिखर रहे थे। धवल, शांत विशाल हिम-स्तूप मानों अपनी ओर खींच रहे हों! पर्वत के बीचोंबीच मुखाकृति और माला सी बनी मन को मोह रही थी। हम एकटक देखते खुशी से इतने द्रवित हो गए कि आँखों से खुशी के आँसू बहने लगे, बिलकुल शांत सुध-बुध खोकर उधर ही निहार रहे थे। कैलाश-पर्वत पर हिम भरा था तो समीप में नंदी-पर्वत बिलकुल कत्थई-भूरी चट्टान सा चमक रहा था। ...
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कैलाश (चित्र आभार: प्रेमलता पाण्डेय) |
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पुरातन पोस्ट पत्रावली
1 टिप्पणी:
आभारी हूँ अनुरागजी!
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