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शुक्रवार, 8 जुलाई 2011

यहाँ मैं अजनबी हूँ - जब जब फूल खिले


"मैं कैसे भूल जाऊँ, मैं हूँ हिन्दोस्तानी"
आनन्द बख्शी के कोमल शब्द, मुहम्मद रफी का मधुर स्वर और कल्याणजी आनन्दजी का मनमोहक संगीत

पुरातन पोस्ट पत्रावली

3 टिप्‍पणियां:

Rakesh Kumar ने कहा…

भावपूर्ण गीत,कर्णप्रिय संगीत.
आनंद आ गया सुनकर.
आभार.

संजय @ मो सम कौन... ने कहा…

ऊंचे महलों में वो सुख कहाँ जो शिकारे में है..

वन्दना महतो ! (Bandana Mahto) ने कहा…

loved the song!.... n I am sharing it to network.

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