प्रेम की अग्नि बुझती नहीं है, बहती नदिया रुकती नहीं है
मेरे प्रिय गीतों में से एक और - जगजीत सिंह के स्वर में
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बुधवार, 5 अक्तूबर 2011
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1 टिप्पणी:
jaag ke kaati saari raina,naino me kl os giri thi' bahut pyari gazal hai yh. sun rhi hun ek baar fir.
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