प्रीत में बियोग भी है, कामना का सोग भी है
प्रीत बुरा रोग भी है, लगे तो लगाओ ना
रात को उदास देखें, चाँद को निराश देखें,
तुम्हें जो न पास देखें, आओ पास आओ न!
~इब्न-ए-इंशा
पुरातन पोस्ट पत्रावली
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शनिवार, 17 मार्च 2012
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7 टिप्पणियां:
Nice
बढिया है ..
बहुत खूब..................
सुमधुर प्रस्तुति ...
आज आपके ब्लॉग पर बहुत दिनों बाद आना हुआ. अल्प कालीन व्यस्तता के चलते मैं चाह कर भी आपकी रचनाएँ नहीं पढ़ पाया. व्यस्तता अभी बनी हुई है लेकिन मात्रा कम हो गयी है...:-)
लाजवाब कर दिया.
बधाई स्वीकारें
नीरज
पढ़ी तो थी, सोचा भी नहीं था कि इसे गाया भी जा सकता है. चमत्कृत कर दिया!
पढ़ी तो थी, सोचा भी नहीं था कि इसे गाया भी जा सकता है. चमत्कृत कर दिया!
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