प्राख्यात कवि पण्डित नरेन्द्र शर्मा की तेजस्वी रचना श्रीमती लावण्या शाह के मधुर स्वर में पढिये, सुनिये या डाउनलोड कीजिये पिट ऑडिओ पर
हम हरि के धन के रथ-वाहक,
तुम तस्कर, पर-धन के गाहक।
हम हैं, परमारथ-पथ-गामी
तुम रत स्वारथ में।
हमें तुम, रोको मत पथ में।
अनधिकार कर जतन थके तुम,
छाया भी पर छू न सके तुम!
सदा-स्वरूपा एक सदृश वह
पथ के इति-अथ में।
हमें तुम, रोको मत पथ में।
अनाचार का प्रखर विरोध सतत करते हुए भी शिष्टता कैसे बनाये रखी जा सकती है, इसका अनन्य उदाहरण है उपरोक्त रचना।
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पुरातन पोस्ट पत्रावली
श्रीमती लावण्या शाह |
तुम तस्कर, पर-धन के गाहक।
हम हैं, परमारथ-पथ-गामी
तुम रत स्वारथ में।
हमें तुम, रोको मत पथ में।
अनधिकार कर जतन थके तुम,
छाया भी पर छू न सके तुम!
सदा-स्वरूपा एक सदृश वह
पथ के इति-अथ में।
हमें तुम, रोको मत पथ में।
अनाचार का प्रखर विरोध सतत करते हुए भी शिष्टता कैसे बनाये रखी जा सकती है, इसका अनन्य उदाहरण है उपरोक्त रचना।
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